Static Energy


कल की ही बात है बरवाल खण्ड के एक विद्यालय में कार्यरत एक विज्ञान अध्यापिका का फ़ोन आया उन्होंने बताया कि उनके साथ एक अध्यापक है जो कि जिस किसी को छू रहे है तो करंट लग रहा है। मेरे घर जो बच्चों की देखभाल के लिए जो महिला आ रही है उनको भी धातु की वस्तु को छूते ही करंट लग रहा है। अभी एक बहुत ही घनिष्ट व प्रिय मित्र का पटियाला से इसी संदर्भ में मैसेज आया तो दोस्तो कुछ जानकारियां एकत्रित की जो आप के साथ सांझा करने जा रहा हूँ। गलतियों को नजरअंदाज करते हुए लेख का आनंद उठाएं।

स्थिर विद्युत।

स्थिर विद्युत तब उत्पन्न होती जब कोई दो वस्तुएं एक दूसरे के संपर्क में आती है। हम जब छोटे होते थे तो ज्योमेट्री बॉक्स के स्केल को सिर पर रगड़ कर फिर कागज के छोटे छोटे टुकड़ों के पास ले जाते थे तो वो कागज के छोटे छोटे टुकड़े उस स्केल से चिपक जाते थे। ये स्थिर विद्युत ही थी।स्केल जब हमने सिर पर अपने बालों से रगड़ा तो वो आवेशित हो गया। ऐसे ही हमारी कमीज़ के कालर भी गन्दे होते है। वो गर्दन से रगड़ खा कर आवेशित हो जाते है और धूल मिट्टी के कण उन पर आकर चिपक जाते है।

सभी पदार्थ परमाणुओं से बने होते है। विश्व मे ऋण आवेश के मात्रा घन आवेश के बराबर है। इसलिए ये सब जगह सतुंलित रहते है। परन्तु जब दो पदार्थ सम्पर्क के आते है तो ये आवेश दोबारा बंटते है ये एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ।की तरफ गति कर जाते है जिससे एक पदार्थ घन आवेशित हो जाता है और दूसरा ऋण आवेशित। अगर वो पदार्थ विद्युत का सुचालक है तो ये आवेश  को फैला कर समाप्त कर देगा। परन्तु यदि पदार्थ विद्युत का कुचालक है तो ये आवेश इकट्ठा हो जाएगा और एक अच्छा खासा विभवांतर उतपन्न हो जायेगे। इस इलेक्ट्रोस्टेटिक आवेश का प्रभाव दिखाओ भी।देगा जैसे कि किसी बस्तु को छूने पर झटका लगता है।

हमारे जूते और  करंट।

आजकल जो जूते बनते है उनका तलवा उच्च विद्युतरोधी प्लास्टिक से बना होता है। जब हम चलते है तो फर्श से रगड़ के कारण जूतों के तलों पर आवेश आ जाता है। ये तब और भी बढ़ जाता है जब फर्श भ विद्युतरोधी पदार्थ से बना हो। जूतों के तलों से आवेश के कारण हमारे शरीर पर आवेश उतपन्न हो जाता है। जो पुराने नायलॉन के दरीचे होते थे वो इस आवेश को और भी बड़ा देते थे। कुछ परिस्थितियों पर तो ये 15000 वाल्ट तक भी रिकॉर्ड किया गया है। 5000 वाल्ट तो आम बात है। ज्यादातर लोगों को 2000 से 4000 वाल्ट तक कोई झटका महसूस नही होता। यदि आप इन कक्ष में पैरों नंगे घूमे तो आपको किसी धातु की वस्तु जैसे दरवाज़े का हैंडल या कुंडी छूने से झटका नही लगेगा।

कार सीट और स्थिर बिद्युत

जब हम कार की सीट पर बैठते है तब कार और हमारे शरीर मे आवेश उतपन्न होता है फिर जब वो गाड़ी से बाहर निकलने लगते है अपने साथ आधा आवेश ले जाते है जो कि समान्य स्थिति में  10000 वोल्ट हो सकता है। जब वो कार से बाहर निकल कर कर के डोर को छूता है तो उसे झटका महसूस होता है। ऐसे में यदि आप जब गाड़ी से बाहर आने लगे तो सीट पर बैठे बैठे ही गाड़ी के धातु की बनी दरवाजे को छू कर उतरें आप को झटका नही लगेगा। यदि आप गाड़ी से उतरने से पहले गाड़ी की धात्विक बॉडी को छूना भूल गए है तब आप एक और काम कर सकते है कि आप पहले कांच को छू ले तब भी आप को झटका नही लगेगा। स्थिर विद्युत का प्रभाव शुष्क दिनों में बढ़ जाता है ऐसे में आप कमरे में नमी की मात्रा बढ़ाने वाली युक्ति लगा कर इस झटके से बच सकते है।

कल एक मित्र जो कि विज्ञान अध्यापक है उन्होंने एक अखबार की कटिंग शेयर की जिसमे 5g को भी इसका कारण बताया गया है।यहां तरंगे इलेक्ट्रान व प्रोटोन के स्थिर अनुपात को बिगाड़ रही है।

तो आप अपना बहुत ध्यान रखे तथा आप इन उपायों को अपना कर  स्थिर ऊर्जा के कुप्रभाव से बच सकते है।


सुनील अरोरा
पीजीटी रसायन विज्ञान
सार्थक र आ व म वि
सेक्टर 12 A
पंचकूला (हरियाणा)

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