आज ओम प्रकाश पाटीदार द्वारा लिखित "ऐसा क्यो होता है? वैज्ञानिक दृष्टिकोण" प्राप्त हुई। इस पुस्तक की प्रतीक्षा मुझ सहित देशभर के हज़ारों विद्यार्थियों, शिक्षको तथा विज्ञान प्रेमियों को थी। इस पुस्तक का में पिछले कई दिनों से इंतजार कर रहा था। आज मुझे यह अमूल्य पुस्तक मिली।
इसे शीर्षक के अनुरूप 5 खंडों -
अ. विज्ञान, समाज तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण
ब. चमत्कार बनाम विज्ञान के सिद्धांत
स. मानव शरीर.. कुछ जाना-कुछ अनजाना
द. प्राणी जगत-ऐसा क्यों होता है
इ. पादप जगत- ऐसा क्यों होता है।
में विभाजित किया है। इन खंडों के अंतर्गत लेखक ने इस पुस्तक में 209 पन्नों पर 195 दैनिक दिनचर्या में मन मस्तिष्क में उठने वाले सुनी अनसुनी तथ्यों, धारणाओ, अंध विश्वासों की दुनिया के अनेक प्रश्नों व समस्याओं का बहुत ही तर्क संगत ढ़ंग से जो विवेचना की है, इसके लिए लेखक साधुवाद के पात्र हैं।
कक्षा 1 से लेकर महाविद्यालय स्तर तक के छात्रों को व आम जन मानस और शिक्षकों के लिए यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। अभी मैंने पुस्तक पर एक पैनी निगाह डाली है, जिसके फलस्वरूप मैंने इस अमूल्य धरोहर पर अपने विचार प्रस्तुत किये। जब सम्पूर्ण पुस्तक का पठन पाठन होने पर इस पर सही ढंग से समालोचना करने का दुस्साहस कर सकूंगा। लेकिन इतना जरूर कहना चाहता हूं कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर लिखी यह पुस्तक अतुलनीय है।
लेखक व प्रकाशक को एक बार पुनः मेरे हृदय की गहराइयों से शुभकामनाएं व हार्दिक बधाई।
0 Comments