एम.एल.जाँगड़े आगर मालवा
ओम प्रकाश पाटीदार जी द्वारा लिखित ऐसा क्यों होता है? "वैज्ञानिक दृष्टिकोण" पुस्तक हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगी। पाटीदार जी द्वारा इस पुस्तक में ऐसे विचार और ऐसे तथ्य तर्क- वितर्क पूर्ण तरीके से लिखे गए हैं कि वास्तव में हर व्यक्ति व छात्रों के मन में अक्सर विचार उठा करते हैं ।किंतु उनका सही तरीके से हल नहीं मिलता- उत्तर नहीं मिल पाता है। किंतु इस पुस्तक में अधिकतर ऐसे विषयों को समावेशित किया गया है कि- अधिकतर विषय मेरे खुद के मन में आए हैं । किंतु उनको सही तरीके से मैं भी समझ नहीं पाया। अभी तक कि मेरी लाइफ में छहुत से छात्रों ने इस प्रकार के विषय पूछे हैं ।उन्होंने जानने की कोशिश की है। किंतु मैं भी सही तरीके से उनको समझा नहीं पाया । वास्तव में पाटीदार जी ने बहुत सारे ऐसे विषयों को इसमें समाहित किया है। जो कि रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े हुए हैं और इन विषयों के बारे में, जिज्ञासाओं के बारे में छात्र और शिक्षक जानेंगे तो निश्चित ही उनके मन में उठने वाले सवालों के जवाब भी मिलेंगे ।साथ ही छात्रों को भी जानकारी देते रहेंगे। समाज में बहुत से अंधविश्वास फैले हुए हैं ।उनको भी वैज्ञानिक कारणों से समझाया गया उसके पीछे का कारण बताया गया। ताकि समाज झाड़-फूंक वाले व समाज को बेवकूफ बनाने वाले लोगों से सावधानी बरत सके और ऐसी घटनाओं से बच सके। प्रतिवर्ष हम भी हाई स्कूल के बच्चों को "जादू नहीं विज्ञान है" के अंतर्गत बहुत से विषयों को समझाते हैं ।उनके माता-पिता तक भी मैसेज पहुंचाते हैं ताकि बच्चे घर जाकर माता-पिता से बात करें और वह भी इस बात को समझ सके ।उन सभी विषयों को पाटीदार जी ने इस पुस्तक में समावेश किया है। पाटीदार जी का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार ताकि समाज जागरूक होकर अंधविश्वास से बचें और सामान्य जीवन में होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं के बारे में भी वैज्ञानिक मूलाधार को समझ कर जागरूक हो सके।
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